भारत में पूरे साधारण बीमा व्यवसाय को, साधारण बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम 1972 ( जिब्ना ) के अधीन राष्ट्रीयकृत किया गया था.
भारत सरकार (जीओआई) ने राष्ट्रीयकरण के द्वारा साधारण बीमा व्यवसाय के लिए 55 भारतीय बीमा कम्पनियों के शेयर और 52 बीमाकर्ताओं की अंडर टेकिंग प्राप्त की.
भारतीय साधारण बीमा निगम का गठन जिब्ना की धारा 9(1) के तहत किया गया था.
22 नवम्बर 1972 को कंपनी अधिनियम 1956 के तहत शेयर के आधार पर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में इसको शामिल किया गया.
सा. बी. नि. की स्थापना पर्यवेक्षण, नियंत्रण एवं साधारण बीमा व्यवसाय का प्रबंधन करने हेतु की गई. जैसे ही सा.बी.नि. का गठन हुआ, भारत सरकार ने साधारण बीमा कंपनियों के सभी शेअर्स सा. बी. नि. को अंतरित कर दिए.
इसके साथ ही राष्ट्रीयकृत उपक्रमों को भारतीय बीमा कंपनियों में अंतरित कर दिया गया. भारतीय बीमा कंपनियों को एकीकृत करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद केवल चार कंपनियां रह गईं जो कि सा. बी. नि. की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां थीं.
अगली प्रमुख घटना 19 अप्रैल, 2000 को घटी, जब बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 (आई. आर. डी. ए. ए.) प्रभावी हुआ.
इस अधिनियम के द्वारा जिब्ना अधिनियम और बीमा अधिनियम 1938 में भी संशोधन किया गया. जिब्ना के एक संशोधन ने सा. बी. नि. एवं उसकी सहायक कंपनियों द्वारा भारत में सामान्य बीमा किए जाने का एकाधिकार समाप्त कर दिया.
नवम्बर 2000 में सा. बी. नि. को भारतीय पुनर्बीमाकर्ता के रूप में पुन: अधिसूचित किया गया और प्रशासनिक अनुदेश द्वारा कंपनियों पर सा.बी.नि. की पर्यवेक्षकीय भूमिका समाप्त हो गई.
भारतीय बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन अधिनियम 2002 (2002 का 40 ) 21 मार्च 2003 को प्रभावी हुआ, जिसके द्वारा सा.बी.नि. का अपनी कंपनियों पर से स्वामित्व समाप्त हो गया.
पूर्व की चारों सहायक कंपनियों तथा भारतीय साधारण बीमा निगम का भी पहला स्वामित्व अब भारत सरकार के पास निहित था.
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