प्रशिक्षण भविष्य के लिए एक निवेश है और सफलता के लिए आवश्यक साधन है. यह केवल उत्पादन को ही नहीं बढ़ाता बल्कि लोगों को प्रेरित और प्रभावित भी करता है. प्रशिक्षण कार्यक्रम, सेमिनार्स और कार्यशालाएं, ये सभी और बहुत कुछ प्राप्त करने का सुअवसर देते हैं. जीआइसी री, भारतीय पुनर्बीमाकर्ता, अब अपने अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों के साथ पिछले चार दशकों का अपना ज्ञान और अनुभव बांट रहा है जिससे कि उन्हें पुनर्बीमा की ठोस बुनियादी जानकारी दी जा सके ।
जीआइसी री अपने ग्राहकों के लिए मूल्य संवर्धन के रूप में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता आ रहा है. यह संबंधों को मज़बूत बनाने और ग्राहकों की आवश्यकताओं को समझने तथा उनका समाधान प्रस्तुत करने के लिए साबीनि द्वारा शुरू की गई सीआरएम की पहल है. प्रत्यक्ष अंडरराइटरों के मामले में यह हमेशा संभव नहीं है कि कार्यपालक पुनर्बीमा की सूक्ष्मता को समझ सकें. इसके अतिरिक्त, सार्वभौम पुनर्बीमा बाज़ार तेजी से बदल रहा है और केवल व्यावसायिक विकास को जारी रखने से ही व्यक्ति तथा संस्था को अग्रणी रखा जा सकता है ।
प्रशिक्षण, सेमिनार्स और कार्यशालाओं में भाग लेना अर्थात् समग्र रूप से अधिकतम ज्ञान प्राप्त करने का सुअवसर है. प्रत्यक्ष बीमा और पुनर्बीमा कंपनियों के कनिष्ठ और मध्य स्तर के कार्यपालक निम्नलिखित कार्य कर रहे हैं :
इनमें से कुछ कार्यक्रम आवासीय भी हैं जैसे कि " रीइंश्योरेंस फंडामेंटलस्, प्रैक्टिस, प्रैक्टिस और ट्रेन्डस् " पर यह कार्यक्रम एक सप्ताह का आवासीय कार्यक्रम होता है ।
प्रतिदिन की समय सारणी में भोजन से पूर्व और भोजन के पश्चात् दो सत्र शामिल होते हैं. कार्यक्रम के अंत में प्रत्येक प्रतिभागी को प्रतिभागिता प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है ।
कार्यक्रम में चहुमुखी प्रतिभावान फैकल्टी होती हैं जिनमें जीआइसी री से वरिष्ठ कार्यपालक, प्रत्यक्ष बीमाकर्ता और पुनर्बीमा ब्रोकरों से विशेषज्ञ, प्रतिष्ठित परामर्षदाता, बीमा सर्वेक्षक और प्रक्रिया / निर्माणाधीन उद्योगों से विशेषज्ञ शामिल होते हैं ।
पुनर्बीमा कार्यक्रम का फोकस मुख्य रूप से पुनर्बीमा के मूलतत्व और अभ्यास पर होता है और इसके साथ-साथ निम्नलिखित शामिल होते हैं :
अच्छे अभियांत्रिकी अभ्यास, जोखिम प्रबंधन, सुरक्षित कार्यप्रक्रिया और अन्य विभिन्न पैरामीटरों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय स्केल पर वाणिज्यिक और औद्योगिक जोखिमों के श्रेणीकरण के लिए टूल .....
सूचना तकनीक में प्रगति के साथ बाज़ार के सार्वभौमिकरण की चालू प्रक्रिया को जोड़ने का अर्थ पूरी दुनिया को एक छोटे सार्वभौमिक दायरे में समेटने जैसा होता है. वर्तमान परिवर्तनों से यह आवश्यकता उत्पन्न हो गई है कि बड़े वाणिज्यिक एवं औद्योगिक एंटरप्राइसेज़ उन विभिन्न जोखिमों की तरफ पुनः ध्यान दें जिनसे वे आमना सामना कर रहे हैं और बेहतरीन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यवहारों के अनुकूल बनने हेतु उनके वर्तमान जोखिम प्रबंधन अभ्यासों की प्रभावपूर्णता का आंकलन करें ।
इस बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए जीआइसी री ने पीएमएल मूल्यांकन सहित जोखिम दरनिर्धारण पद्धति शुरू की जो निगमीय हस्तियों की इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए बनाई गई है. यह पद्धति बीमा / पुनर्बीमा संरक्षणों के लिए व्यवस्था करते समय अच्छे और अनुकूल व्यवहार प्राप्त करने के लिए टूल के रूप में प्रभावी प्रयोग किए जाने हेतु बनाई गई है ।
इससे प्राप्त लाभ निम्नानुसार हैं :
मुख्यतः दरनिर्धारण जोखिम के गहरे अध्ययन और जोखिम के व्यक्तिशः निरीक्षण पर आधारित होता है. दर निर्धारण पद्धति में जोखिम प्रबंधन अभ्यास के विभिन्न तत्वों के लिए जोखिम इंडेक्स फैक्टर जैसे कि प्रबंधन नीति और व्यवहार, जोखिम की पहचान और नियंत्रण, डिज़ास्टर प्रबंधन और व्यावसायिक निरंतरता, जोखिम वित्तीयकरण आदि शामिल किया गया हैं. यह संकल्पना सभी प्रकार के उद्योगों के लिए लागू है और अच्छे अभियांत्रिकी अभ्यास और अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर आधारित होगी. साबीनि की जोखिम प्रबंधन टीम पूर्वनिर्धारित स्केल पर जोखिम के श्रेणीकरण का प्रमाणपत्र जारी करती है. जीआइसी री तब पुनर्बीमा निबंधनों को कोट करते समय प्रमाण पत्र पर वरियता क्रम में ध्यान देगी ।
Ranked 13thLargest Global Reinsurer Group(compiled by A M Best)